डॉ. रंजु कुमारी
बौद्ध शिक्षा पद्धति में महिलाओं की शिक्षा का विकास एक ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। बुद्ध के समय में जब समाज में महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, तब गौतम बुद्ध ने समानता और ज्ञान के अधिकार की भावना को प्रोत्साहित किया। उन्होंने महिलाओं को संघ में प्रवेश की अनुमति दी और भिक्षुणी संघ की स्थापना की, जिससे स्त्रियों को धार्मिक, नैतिक तथा दार्शनिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। बौद्ध शिक्षा में करुणा, सत्य, समता और आत्मज्ञान के सिद्धांतों ने महिलाओं को मानसिक स्वतंत्रता और सामाजिक सम्मान दिलाया। इसके परिणामस्वरूप महिलाएँ न केवल धार्मिक जीवन में बल्कि समाज सुधार और नैतिक शिक्षण के क्षेत्र में भी सक्रिय हुईं। अनेक भिक्षुणियों जैसे कि महाप्रजापति गौतमी, किसा गोतमी और अंबपाली ने बौद्ध शिक्षाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस प्रकार, बौद्ध शिक्षा पद्धति ने महिलाओं की शिक्षा को धार्मिक सीमा से ऊपर उठाकर सामाजिक और बौद्धिक उत्थान का माध्यम बनाया। इससे भारतीय समाज में स्त्री शिक्षा, समानता और नैतिकता की नई चेतना का विकास हुआ, जिसका प्रभाव आज भी दृष्टिगोचर है।
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