डाॅ0 राजकुमार
कुंठा एक मानसिक विकृति है, जो मनुष्य को अस्वाभाविक एवं चिड़चिड़ा बना देती है। जीवन में बार-बार असफल होना सपनों का साकार न होना मनुष्य को कुंठित बना देता है। ऐसे व्यक्ति का व्यवहार असामान्य हो जाता है। ऐसा व्यक्ति अपना जीवन सहज एवं स्वाभाविक रूप में नहीं जी पाता। उसके मन में परिवार और समाज के प्रति आक्रोश उत्पन्न होता है। कथाकार राठौड़ जी ने अपनी कहानियों में इस समस्या को दर्शाया है।
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