अदिति प्रिया, कंचन सिन्हा
भूमंडलीकरण एक जटिल और बहु-आयामी प्रक्रिया है, जिसका प्रभाव भारतीय राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा पड़ा है। इस प्रक्रिया ने भारतीय राजनीति में नीतिगत परिवर्तनों, वैश्विक आर्थिक संबंधों और सामाजिक संरचनाओं में बदलाव लाए हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से, भूमंडलीकरण ने विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। साथ ही, व्यापार, उद्योग और तकनीकी विकास में भी सुधार हुआ है। हालांकि, इसके साथ सामाजिक असमानताओं, सांस्कृतिक विविधताओं के संकट और पर्यावरणीय प्रभावों जैसे नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से, भूमंडलीकरण ने भारतीय राजनीति को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी और समावेशी बना दिया है। इससे भारत के राजनीतिक दलों की रणनीतियों और विचारधाराओं में भी बदलाव हुआ है। इसके परिणामस्वरूप, देश की नीति निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता और लचीलापन बढ़ा है। हालांकि, भूमंडलीकरण के साथ राष्ट्रीय स्वायत्तता, सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं। समाज में भूमंडलीकरण ने पारंपरिक मूल्यों के साथ-साथ आधुनिक विचारों को भी स्थान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव हुए हैं। इसके साथ ही, यह सामाजिक आंदोलनों और राजनीतिक प्रतिरोधों को भी प्रेरित करता है, जो वैश्विक ताकतों और नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इन सब के बावजूद, भूमंडलीकरण ने भारतीय राजनीति को एक नया दिशा और चुनौती दी है, जिसे समझना और नियंत्रित करना आज के समय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन गई है। इस प्रकार, भूमंडलीकरण ने भारतीय समाज और राजनीति में नए अवसर और चुनौतियों का सामना किया है, और इसके प्रभावों का सही दिशा में नियमन आवश्यक है ताकि समाज का समग्र और समावेशी विकास संभव हो सके।
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