डॉ. अवनीश यादव
जिस तरह मानचित्र किसी स्थान विशेष के भौगोलिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि को प्रदर्शित करता है, उसी तरह कहानियां व्यक्ति और समाज की संरचना और पृष्ठभूमि को। कहानियों में कहन कला के साथ-साथ कहन की पृष्ठभूमि विशेष महत्व रखती है। पृष्ठभूमि जितनी यथार्थ और उपयोगी होगी कहानी की जीवंतता उतनी ही दीर्घ और अर्थपूर्ण। बहरहाल, संजय गौतम की कहानियों का मानचित्र उत्तर भारत के निम्नमध्यवर्गीय समाज का मानचित्र है। इनकी कहानियां आत्मचेतस भी हैं और समाजचेतस भी; जिसमें गांव, कस्बों, बस्तियों एवं शहरी मोहल्लों की धड़कने धड़कती हैं। विभिन्न चरित्रों के मार्फ़त पाठक उन धड़कनों को न सिर्फ़ महसूसता है अपितु उनके ज़रिए आए समाजचेतस संदेशों को आत्मसात भी करता है। एक कहानी का हासिल भला इससे अधिक और क्या हो सकता है। खैर।
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