डॉ० राम रहीस, डॉ0 विशाल गुप्ता
कौन नहीं जानता कि वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा का प्रथम लिखित वर्णन भारतीय शास्त्रीय परंपरा में लिखित ग्रंथ महोपनिषद या महा उपनिषद में अध्याय ६, मंत्र ७१ में मिलता है दूसरी ओर यूनेस्को द्वारा गठित डेलर्स कमीशन की रिपोर्ट शीर्षक लर्निंग अ ट्रेज़र विदिन में निहित शिक्षा के चार स्तंभों में से एक लर्निंग टु लिव टुगेदर में अंतर्निहित मूल धारणा के बीच जो समन्वय मिलता है उसे हमें आज की शिक्षा पद्धति में न सिर्फ अपनाने की जरूरत है अपितु आज के विश्व की सर्व प्रमुख प्राथमिकता शांति शिक्षा से जोड़कर देखे जाने की आवश्यकता है ।
प्रस्तुत लेख की मूल भावना यही है की वसुधैव कुटुंबकम की अति प्राचीन धारणा आज विश्व की सर्व प्रमुख जरूरत¨ में से एक है जिसे हमें आज के शिक्षा व्यवस्था के साथ जोड़कर अपने आने वाली पीढ़ी को विश्व एक परिवार है की अवधारणा को सिखाए जाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है ।
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