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International Journal of Humanities and Education Research

Vol. 6, Issue 2, Part A (2024)

पर्यावरण संरक्षण का महत्वः भारत के परिपेक्ष्य में एक अध्ययन

Author(s):

शिव शंकर, वीना देवी सिंह

Abstract:

यह शोधपत्र पर्यावरण से संबंधित भारत में संरक्षण नीतियां, कार्यक्रम और कानून पर है। राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में, अनुच्छेद 48 कहता है, ‘‘राज्य सुरक्षा और सुधार का प्रयास करेगा। पर्यावरण और देश के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए, ‘‘अनुच्छेद 51-ए में कहा गया है कि ‘‘यह वनों, झीलों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व सुधार करना, भारत के प्रत्येक नागरिक का कत्र्तव्य है।’’ नदियों और वन्य जीवन तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना। यह विभिन्न सरकारी योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, संरक्षण और उनके निहितार्थ। 1970 के दशक से देश में पर्यावरण कानून का एक व्यापक नेटवर्क विकसित हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) और (एसपीसीबी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) इस क्षेत्र का नियामक और प्रशासनिक केंद्र बनाते हैं। विधायी प्रावधानों के पूरक के लिए एक नीतिगत ढांचा भी विकसित किया गया है। प्रदूषण उन्मूलन के लिए नीति वक्तव्य और पर्यावरण और विकास पर राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति और नीति वक्तव्य 1992 में एमओईएफ द्वारा विकसित करने के लिए लाया गया था। यह पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार को बढ़ावा देता है। ईएपी (पर्यावरणीय कार्रवाई कार्यक्रम) 1993 में तैयार किया गया था, जो पर्यावरणीय सेवाओं में सुधार लाने और विकास कार्यक्रमों में पर्यावरणीय विचारों को एकीकृत करने के उद्देश्य से। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सरकार द्वारा अन्य उपाय भी किये गये हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए भारत सरकार, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और अन्य हितधारकों द्वारा की गई विभिन्न पहलों की पड़ताल करता है। यह इन पहलों की प्रभावशीलता का विश्लेषण करता है, संरक्षण प्रयासों में बाधा डालने वाली चुनौतियों की पहचान करता है। 

Pages: 54-56  |  68 Views  21 Downloads


International Journal of Humanities and Education Research
How to cite this article:
शिव शंकर, वीना देवी सिंह. पर्यावरण संरक्षण का महत्वः भारत के परिपेक्ष्य में एक अध्ययन. Int. J. Humanit. Educ. Res. 2024;6(2):54-56. DOI: 10.33545/26649799.2024.v6.i2a.127
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