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International Journal of Humanities and Education Research

Vol. 5, Issue 2, Part A (2023)

बेटियों के सामाजिक समावेशन में ग्राम पंचायत की भूमिका

Author(s):

सरिता

Abstract:

भारत में स्त्रियां बहुत से क्षेत्रों से बर्हिवेशित हैं। स्त्रियों की सामाजिक कार्यकलापों में भागीदारी भी बहुत से क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह स्थिति और भी खराब है। इस शोध लेख में 11 से 18 वर्ष की बेटियों के सामाजिक समावेशन में ग्राम पंचायत की भूमिका का अध्ययन किया गया है। इसमें ग्राम पंचायत ने समावेशन संबंधी क्या-क्या कार्य किए, उसकी क्या नीति एवं योजनाएं रही एवं कैसे इनका कार्यान्वयन किया गया, इन प्रमुख शोध प्रश्नों के साथ यह शोध किया गया है। गुणात्मक शोध पद्धति को शोध कार्य में अपनाया गया है। यह शोध कार्य हरियाणा प्रदेश के एक जिले पर आधारित है जिसमें बाल, लिंगानुपात की स्थिति सबसे खराब थी। इस शोध में पाया गया कि गांव में बेटियों के समावेशन के संबंध में ग्राम पंचायत का ढीला-ढाला रवैया है एवं ग्राम पंचायत एक प्रभावी भूमिका नहीं निभा रही है। ग्राम पंचायत के और अधिक उत्तरदायित्व हैं और इसकी भूमिका बेटियों के सामाजिक समावेशन में और अधिक प्रभावित हो सकती है।

Pages: 45-48  |  100 Views  38 Downloads


International Journal of Humanities and Education Research
How to cite this article:
सरिता. बेटियों के सामाजिक समावेशन में ग्राम पंचायत की भूमिका. Int. J. Humanit. Educ. Res. 2023;5(2):45-48. DOI: 10.33545/26649799.2023.v5.i2a.72
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