International Journal of Humanities and Education Research

Vol. 5, Issue 1, Part A (2023)

आजादी के 75 वर्षः लोकतंत्र की उपलब्धियाँ और चुनौतिया

Author(s):

Dr. Urmil Vats

Abstract:

“हम भारत के लोग भारत को एक (संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंचनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य) बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को“ सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए के तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और (राष्ट्र की एकता और अखंडता) सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (निति मार्गशीर्ष शुक्ला, सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) की एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं। आजादी के 75 वर्ष हम पूरा होने पर आज देश के कोने-कोने में जश्न का माहौल है। हो भी क्यूं न, क्योंकि लम्बे अन्तराल की गुलामी के पश्चात, सहस्र बलिदानों की आहुति के बाद ही यह आजादी हमें मिली है। हर घर तिरंगा जश्ने आजादी में चार चाँद लगा रहा है। लेकिन, आज जरूरत इस पर भी विचार करने की है कि प्रत्येक व्यक्ति यह भी विचार करें कि हमारे देश भक्तों ने जो बलिदान दिए, जो यातनाएँ झेली, देश का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में आजादी प्राप्ति के हवन में अपनी आहुति दे रहा था। उसी आहुति के दम पर आज हम सब इस खुली हवा में सांस ले रहे है। हमारे चिन्तन का यह हिस्सा होना चाहिए कि कैसा भारत वर्ष हमारे स्वतंत्रता सेनानी देखना चाहते थे? क्या हम आजादी के 75 वर्ष तक उन्हें पूरा कर पाए है? अगर हाँ तो करने सी कौन सी उपलब्धियाँ हम प्राप्त कर चुके है, अगर नहीं तो क्यूँ नहीं? भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा हुआ एक-एक शब्द क्या सही मायने में हकीकत में हम पूरा कर पाएं? क्या प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा और उसे उसके अधिकार संवैधानिक तौर पर ही नहीं बल्कि व्यवहारिक तौर भी उसे प्राप्त हो चुके हो? क्या समाज से असमानता समाप्त हो चुकी है? क्या प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों को पूरा कर रहा है? देश की एकता और अखंडता पर कोई सवाल तो नहीं है? देश में भाईचारा व सौहार्द की भावना कम तो नहीं हुई है? आजादी के 75 वर्ष के सफर पर चलते हुऐ आज हम कहाँ तक पहुँचे, क्या चुनौतियां रही? कहाँ तक हम जा सकते हैं, तमाम उन बिंदुओं पर विचार व मंथन की भी आवश्यकता है।

Pages: 01-03  |  186 Views  57 Downloads

How to cite this article:
Dr. Urmil Vats. आजादी के 75 वर्षः लोकतंत्र की उपलब्धियाँ और चुनौतिया. Int. J. Humanit. Educ. Res. 2023;5(1):01-03. DOI: 10.33545/26649799.2023.v5.i1a.34