Shatrujeet Singh
यह अध्ययन शेखावाटी क्षेत्र में 18वीं एवं 19वीं शताब्दी के व्यापार, वाणिज्य एवं मुद्रा व्यवस्था का विश्लेषण करता है। इसमें वस्तु विनिमय, उधार की परंपराओं, ब्याज, और नाप-तोल के प्राचीन प्रथाओं का विस्तृत अवलोकन किया गया है। सामग्री एवं विधियों के अंतर्गत ऐतिहासिक अभिलेखों, ग्रामीण परंपराओं और प्राचीन दस्तावेजों का अध्ययन किया गया। परिणामस्वरूप ज्ञात हुआ कि उस काल में वस्तु विनिमय की अनेक परंपराएँ जैसे “आपमित्यिक”, “बांटी”, “मोगालिया” आदि प्रचलित थीं, जिनमें उधार, ब्याज, साझेदारी और सेवा आधारित व्यवस्था शामिल थीं। नाप-तोल की प्राचीन माप पद्धतियों में विभिन्न रीतियों का प्रयोग किया जाता था, जिनमें अंगुल, हाथ, कोस और बीघा प्रमुख थे। समाचार संप्रेषण के लिए दूतों एवं हरकारों का भी उपयोग होता था। निष्कर्षतः, ये प्रथाएँ उस समय की आर्थिक स्थिरता, सामाजिक सहकार्य और व्यापारिक जीवन का द्योतक हैं। इस अध्ययन से स्पष्ट है कि इन परंपराओं का ऐतिहासिक महत्व है और वर्तमान में भी इनकी झलक स्थानीय जीवन में मिलती है।
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